अवसाद (डिप्रेशन) एक आम मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति गहरी उदासी और निराशा महसूस करता है। आजकल, दुनिया की लगभग 60 से 80 प्रतिशत आबादी किसी न किसी समय अपने जीवन में तनाव और अवसाद का सामना करती है। यह मानसिक स्थिति अक्सर शादीशुदा जीवन, नौकरी, संपत्ति, बच्चों आदि जैसी परिस्थितियों से उत्पन्न होती है और नकारात्मक सोच को बढ़ावा देती है। इससे व्यक्ति का जीवन अत्यधिक प्रभावित होता है।

अवसाद के लक्षण

अवसादग्रस्त व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण देखे जा सकते हैं:

– लगातार उदासी और निराशा

– अकेलापन महसूस करना

– भूख न लगना

– सामाजिक संपर्क से दूरी बनाना

– नकारात्मक दृष्टिकोण

– आत्महत्या के विचार

ज्योतिष और अवसाद

ज्योतिष के अनुसार, अवसाद का संबंध ग्रहों की स्थिति से हो सकता है। कुछ ग्रहों और भावों की स्थिति अवसाद के लिए जिम्मेदार हो सकती है।

अवसाद के लिए जिम्मेदार ग्रह

  • चंद्रमा: मानसिक स्थिति का कारक ग्रह है। यदि चंद्रमा कमजोर हो या अशुभ ग्रहों के साथ हो, तो यह अवसाद का कारण बन सकता है।
  • बुध: बुध बुद्धि और संचार का कारक है। यदि बुध कमजोर हो या अशुभ ग्रहों के साथ हो, तो यह मानसिक समस्याओं का कारण बन सकता है।
  • सूर्य: आत्मा और आत्मविश्वास का कारक है। कमजोर सूर्य व्यक्ति को आत्मविश्वास की कमी और निराशा की ओर ले जा सकता है।
  • शनि : शनि नशों का कारक है शनि विचार का कारक है । कमजोर शनि हो तो इन्सान डर में आ जाता है एक अकेलापन में घिर जाता है ।

अवसाद के लिए जिम्मेदार भाव

1. पहला भाव (लग्न): मस्तिष्क का प्रतिनिधित्व करता है।

2. चौथा भाव: मानसिक शांति और सुख का भाव है।

3. पांचवां भाव: बुद्धि और ज्ञान का भाव है। यदि ये भाव और उनके स्वामी अशुभ ग्रहों से पीड़ित हों, तो अवसाद का संकेत मिल सकता है।

अवसाद के ज्योतिषीय पैरामीटर

1. लग्न और उसके स्वामी को शनि, मंगल, राहु या केतु से पीड़ित होना चाहिए।

2. चौथे और पांचवें भाव के स्वामी को 6, 8 या 12 भाव में रखा गया हो और अशुभ ग्रहों से पीड़ित हो।

3. चंद्रमा और बुध को अशुभ ग्रहों से पीड़ित होना चाहिए।

4. चंद्रमा का 6, 8 या 12 भाव में स्थित होना।

5. चंद्रमा और बुध का कमजोर होना और अशुभ ग्रहों के प्रभाव में होना।

अवसाद के ज्योतिषीय उपाय

1. चंद्रमा को मजबूत करना: सोमवार को व्रत रखें, सफेद वस्त्र पहनें, मोती धारण करें, और दूध व चावल का दान करें।

2. शनि को शांत करना: शनिवार को व्रत रखें, काले वस्त्र पहनें, सरसों के तेल का दीपक जलाएं, और शनिदेव की पूजा करें।

3. राहु और केतु के उपाय: हनुमान चालीसा का पाठ करें, काले तिल का दान करें, और नारियल का जल चढ़ाएं।

4. अन्य उपाय: नियमित ध्यान और योग करें, संतुलित आहार लें, और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

इन उपायों से व्यक्ति अपनी मानसिक स्थिति में सुधार कर सकता है और अवसाद से राहत पा सकता है। गंभीर अवसाद की स्थिति में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श लेना भी महत्वपूर्ण है।

केस स्टडी – अवसाद

 नाम : अज्ञात

जन्मतिथि : 19 मार्च 1990

जन्म समय : 12:05 दोपहर

जन्म स्थान: दिल्ली

जन्म कुंडली

नवमांश कुंडली

त्रिशांश कुंडली

जातक की कुंडली के आधार पर अवसाद की समस्या का विश्लेषण करते हैं।

अवसाद के मुख्य घटक , शनि, बुध , चन्द्रमा , सूर्य

भाव एक , सात, छ , आठ , चतुर्थ और द्वादश

1. लग्न (मिथुन): मिथुन लग्न का जातक बुद्धिमान और विचारशील होता है। और लग्नेश बुध नीच के दशम भाव में बैठे हैं केतु की दुसरे भाव से दृष्टि गत सम्बन्ध है ।

2. लग्न में गुरु: गुरु का लग्न में होना जातक को ज्ञानवान और आध्यात्मिक बनाता है, लेकिन कभी-कभी यह व्यक्ति को अत्यधिक सोच में डाल सकता है। दूसरा मिथुन लग्न में गुरु को केन्द्राधिपति दोष लगता है जो की अत्याधिक तनाव का कारक भी बनता है।

3. सप्तम भाव में शनि और चंद्रमा: यह संयोजन मानसिक तनाव और अवसाद का कारण हो सकता है। शनि का चंद्रमा पर प्रभाव मानसिक शांति को बाधित कर सकता है।

4. अष्टम भाव में शुक्र, राहु और मंगल: यह भाव दीर्घकालिक तनाव और मानसिक अवरोध का संकेत दे सकता है। राहु और मंगल का अष्टम भाव में होना अवसाद और मानसिक तनाव को बढ़ा सकता है।

5. दूसरे भाव में केतु: यह स्थान व्यक्ति के वाणी और मानसिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है।

6. दसवें भाव में सूर्य और बुध: यह स्थिति पेशेवर जीवन में अच्छा संकेत देती है, लेकिन बुध का कमजोर होना मानसिक असंतुलन का कारण बन सकता है।

 नवमांश का प्रभाव

1. लग्न (मकर): मकर लग्न का जातक गंभीर और अनुशासनप्रिय होता है, लेकिन यहाँ गुरु के साथ शनि द्वादश भाव में बैठा है ।

2. लग्न में केतु: केतु का लग्न में होना मानसिक अशांति और आत्मविश्लेषण की प्रवृत्ति बढ़ा सकता है।

3. द्वादश भाव में गुरु और शनि: यह स्थिति मानसिक तनाव और आत्मनिरीक्षण की प्रवृत्ति को बढ़ा सकती है।

4. चतुर्थ भाव में चंद्रमा और मंगल: यह मानसिक शांति को बाधित कर सकता है और मानसिक अस्थिरता का संकेत हो सकता है।

5. अष्टम भाव में सूर्य और बुध: यह भाव मानसिक समस्याओं का संकेत हो सकता है, खासकर बुध के कमजोर होने पर।

त्रिशांश का प्रभाव

त्रिशांश अरिष्ट ज्ञान के लिए होता है और इसके अधिपति कुंडली में लग्नेश के मित्र नहीं है और तीसरे भाव से वह पंचम भाव को देख रहे है।

चन्द्र को शनि एकदश भाव से देख रहा है ।

मंगल की अष्ठम दृष्टि भी चन्द्रमा पर है जिसके कारण जातक प्रेम सम्बन्ध से टूटा हुआ है

बुध जो की बुधि का कारक ग्रह है वह यहाँ छठे भाव में सूर्य के साथ पीड़ित है ।

अवसाद के संभावित कारण

1. शनि और चंद्रमा का सप्तम भाव में युति: शनि और चंद्रमा का एक साथ होना मानसिक तनाव और अवसाद का संकेत दे सकता है।

2. अष्टम भाव में राहु और मंगल: राहु और मंगल का अष्टम भाव में होना मानसिक समस्याओं को बढ़ा सकता है।

3. केतु का द्वितीय भाव में होना: यह स्थिति वाणी और मानसिक संतुलन को प्रभावित कर सकती है।

ज्योतिषीय उपाय

1. चंद्रमा को मजबूत करना: सोमवार को व्रत रखें, सफेद वस्त्र पहनें, मोती धारण करें, और दूध व चावल का दान करें।

2. शनि को शांत करना: शनिवार को व्रत रखें, काले वस्त्र पहनें, सरसों के तेल का दीपक जलाएं, और शनिदेव की पूजा करें।

3. राहु और केतु के उपाय: हनुमान चालीसा का पाठ करें, काले तिल का दान करें, और नारियल का जल चढ़ाएं।

4. अन्य उपाय: नियमित ध्यान और योग करें, संतुलित आहार लें, और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें।