परिचय
ज्योतिष केवल ग्रह-नक्षत्रों की गणना भर नहीं है, बल्कि यह मनुष्य के जीवन के प्रत्येक पहलू को समझने का साधन है। विवाह, संतान, शिक्षा, व्यवसाय के साथ-साथ स्वास्थ्य और रोग भी ज्योतिष से गहराई से जुड़े हुए हैं। चिकित्सा ज्योतिष (Medical Astrology) इस तथ्य को उजागर करता है कि कैसे हमारे जन्म के समय ग्रहों की स्थिति हमारे स्वास्थ्य, रोगों की प्रवृत्ति और जीवनशक्ति पर प्रभाव डालती है।
१. मानव शरीर और ग्रह
ज्योतिष शास्त्र मानव शरीर को एक सूक्ष्म ब्रह्मांड मानता है। जैसे ब्रह्मांड पंचमहाभूतों (आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी) से बना है, वैसे ही मानव शरीर भी इन्हीं तत्वों से निर्मित है।
- बृहस्पति (Jupiter) → आकाश तत्त्व
- शनि (Saturn) → वायु तत्त्व
- सूर्य (Sun) और मंगल (Mars) → अग्नि तत्त्व
- चन्द्र (Moon) और शुक्र (Venus) → जल तत्त्व
- बुध (Mercury) → पृथ्वी तत्त्व
इसी आधार पर प्रत्येक ग्रह शरीर के अंग और उनकी क्रियाओं को नियंत्रित करता है।
२. ग्रह और अंगों का संबंध
- सूर्य → हृदय, नेत्र, अस्थि-मज्जा
- चन्द्र → मन, रक्त, जल तत्व, मस्तिष्क
- मंगल → रक्त संचार, स्नायु, चोट/दुर्घटना
- बुध → तंत्रिका तंत्र, त्वचा
- गुरु → मोटापा, यकृत, वसा
- शुक्र → प्रजनन अंग, गुर्दे
- शनि → हड्डियाँ, जोड़ों का दर्द, दीर्घकालिक रोग
३. रोग और कुंडली
कुंडली में छठा, अष्टम और द्वादश भाव विशेष रूप से रोगों का सूचक माने जाते हैं।
- षष्ठ भाव (6th House) → रोग और शत्रु
- अष्टम भाव (8th House) → आयु, दुर्घटना, गुप्त रोग
- द्वादश भाव (12th House) → अस्पताल, व्यय और कष्ट
यदि इन भावों में पाप ग्रह (मंगल, शनि, राहु, केतु) स्थित हों या उनकी दृष्टि हो, तो जातक को रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
४. चिकित्सा ज्योतिष की आधुनिक उपयोगिता
आज के समय में जब जीवनशैली जनित रोग (Lifestyle Diseases) जैसे – डायबिटीज़, हृदय रोग, मानसिक तनाव, उच्च रक्तचाप आदि तेजी से बढ़ रहे हैं, तो चिकित्सा ज्योतिष उनके सम्भावित कारण और निवारण समझने का मार्ग प्रदान करता है।
- सही आहार और जीवनशैली
- ग्रहों की शांति के उपाय
- योग और ध्यान
- रत्न और धातु चिकित्सा
इन सबके माध्यम से रोगों की संभावना कम की जा सकती है और स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है।
निष्कर्ष
चिकित्सा ज्योतिष केवल रोग बताने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन को स्वस्थ और संतुलित बनाने का मार्ग भी दिखाता है। यह विज्ञान हमें सिखाता है कि शरीर, मन और आत्मा – सभी का संतुलन ही वास्तविक स्वास्थ्य है।