दरअसल, आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के आगमन से पहले, प्राचीन काल में चिकित्सकों को अलग- अलग चंद्र दिनों और अलग- अलग तारकीय दिनों में दवा देने के अलावा ज्योतिष के अनिवार्य ज्ञान और विभिन्न रोगों के लिए इसकी प्रासंगिकता की सरहना की जाती थी।

जैसे की जानते हैं आयुर्वेद में, रोग का निदान करने में मदद के लिए रोगों को त्रिदुष (तीन अंगों) में वर्गीकृत किया गया है। ग्रहों के त्रिदोष इस प्रकार हैं:

ग्रहत्रिदोष
रविपित्त
चंद्रमावायु  और कफ
मंगल ग्रहपित्त
बुधवायु, पित्त तथा कफ
बृहस्पतिकफ
शुक्रवायु
शनिवायु
तालिका में ग्रहों के त्रिदोष

त्रिदोषों के अलावा ग्रह स्वयं ही विभिन्न रोग निर्दिष्ट करते हैं। राशियों और विभिन्न नक्षत्रों द्वारा शरीर के विभिन्न भागों पर अलग- अलग रोग भी निर्धारित किए जाते हैं।

जातक पारिजात नैयार्णीक अध्याय के अनुसार कहा गया है की मृत्यु के बारे अष्ठम भाव और ग्रहों से ज्ञात किया जा सकता है क्यूंकि यह मुख्य आयु का भाव होता है ।

मृत्यु मृत्यु ग्रिहेक्ष्णेन बलिभिस्तध्दातुकोपो वः । स्तत्संयुक्तभगाञ्जो बहुभवो वीर्यान्वितैर्भूरिभी ।।

अग्न्यम्ब्वायुधजोज्वराभयकृतस्तृट्क्षुतश्चाष्टमे । सूर्याद्यैनिर्धनै चरादिषु परस्वाथध्वप्रदेशेष्विति ।।

यदि अष्टम भाव में कोई ग्रह स्थित न हो और अष्टम भाव पर किसी ग्रह की दृष्टि न हो तो मृत्यु अष्टम भाव स्वामी के स्वभाव के कारण होगी। तब मृत्यु अष्टम भाव के स्वामी संबंधित त्रिदोष के अनुसार होगी।

यदि अष्टम भाव में ग्रह स्थित हों अथवा अष्टम भाव पर उनकी दृष्टि हो तो उनमें सर्वाधिक बली ग्रह के कारण, उससे संबंधित बीमारी से मृत्यु होगी।

सूर्य: आग का द्योतक है, इसलिए ज्वर से परेशानी मुख्यतः रहती है

चन्द्र: जल का द्योतक है. इसलिए हैजा, पेचिश, रक्तदोष दूबना आदि जलसंक्रामक बीमारियाँ

मंगल : दुर्घटनाएं. अस्त्राघात- हैजा, प्लेग आदि महामारियाँ

बुध : मस्तिष्क ज्वर अथवा चेचक

गुरु : कोई भी बीमारी, जो ठीक से पहचानी न जा सके

शुक्र:  अत्यधिक मद्यपान से प्यास के कारण मृत्यु

शनि : भूख अथवा अत्यधिक भोजन के कारण मृत्यु

आगे के केस स्टडी के अनुसार हमने देखा है की

  • यदि अष्टम भाव में दो से अधिक ग्रह स्थित हो तो दो या दो से अधिक बीमारियों हो सकती है।
  • यदि अष्टम भाव में चर राशि हो तो मृत्यु घर से दूर हो सकती है।
  • यदि राशि स्थिर हो मृत्यु घर पर हो सकती है।
  • यदि राशि द्विस्वभाव हो तो मृत्यु घर के समीप हो सकती है।
  • विभिन्न शास्त्रों में भिन्न-भिन्न स्थितियों में मृत्यु का उल्लेख है किन्तु उपरोक्त निर्देश पर  हैं। किस प्रकार से मृत्यु होगी यह बड़ा ही कठिन एवं भयावह निर्णय है।
  • यदि यह निश्चय करना हो कि मृत्यु कैसे होगी, तब कुंडली के मारक ग्रहों के कारक भावों में वे स्थित हैं उनके कारकत्व, जिस प्रकार की राशियों में वे स्थित हैं, उनके कारकत्व तथा जिन ग्रहों की दशा सक्रिय है, इन सब का विचार करके कुछ संकेत मिल सकता है। उल्लेख है कि यह गहन शोध का विषय है।

इन्दिरा गांधी की कुंडली में आयु भावों पर शनि, मंगल व केतु का प्रभाव था इस कारण हिंसा से, चोट लगने से मृत्यु हुई। अष्टम भाव में स्थिर राशि है। उनकी मृत्यु घर पर ही हुई।